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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2723
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- ह्वेनसांग कौन था?

अथवा
ह्वेनसांग कौन था? उसके यात्रा वृतांत पर प्रकाश डालिए।

उत्तर-

ह्वेनसांग तथा उसका विवरण

हर्ष के राज्यकाल के समय भारत और चीन के सम्बन्ध अत्यन्त मधुर व घनिष्ठ थे। गुप्त वंश का पतन हो जाने के पश्चात् थानेश्वर और कन्नौज का शासक हर्षवर्धन उत्तरी भारत का सबसे अधिक शक्तिशाली शासक था। इसी के शासनकाल में ह्वेनसांग नामक प्रसिद्ध चीनी यात्री भारत आया था। यह सन् 630 के लगभग भारत आया था और 15 वर्षो तक भारत में रहने के पश्चात् अपने देश वापस चला गया। भारत में अपने निवास काल में उसने बौद्ध धर्म का अनुशीलन करने के साथ-साथ इस देश के समाज, परम्पराओं, रीति-रिवाजों, ऐतिहासिक अनुश्रुति आदि का भी खूब गम्भीरता से अध्ययन किया था। उसने अपनी भारत यात्रा का बड़ा ही सुन्दर वर्णन लिखा है।

सन् 605 ई. में चीन के नानफू नामक प्रान्त के एक मध्यवर्गीय परिवार में ह्वेनसांग का जन्म हुआ था। उसके पिता होई के ह्वेनसांग के अतिरिक्त तीन पुत्र और थे। ह्वेनसांग अपने पिता की सन्तानों में सबसे छोटा था। वह बाल्यकाल में ही बौद्ध धर्म की ओर आकर्षित हो गया था और उसने इस धर्म का गहन अध्ययन करने के उद्देश्य से भिक्षु बनने का निश्चय किया।

ह्वेनसांग एक तीव्र बुद्धि का बालक था। शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से उसे एक बौद्ध मठ में प्रवेश दिलाया गया। तेरह वर्ष की अल्पायु में ही वह एक भिक्षु बन गया और बीस वर्ष की आयु प्राप्त करने तक वह चारों ओर प्रसिद्ध हो गया। अब वह चीन के विविध विहारों में जाकर बौद्ध धर्म का अध्ययन करने लगा। वह चीन के विहारों में जो कुछ शिक्षा प्राप्त कर सकता था वह सब उसने सीख लिया, परन्तु वह इससे असन्तुष्ट रहा। चीनी भाषा में अनुवादित बौद्ध धर्म उसे सन्तुष्ट न कर सके। अतः उसने भारत जाकर बौद्ध धर्म के मूल ग्रन्थों का अध्ययन करने का निश्चय किया। उसने भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों से सम्बन्धित तीर्थ स्थानों की यात्रा करने का भी विचार किया।

ह्वेनसांग ने अपनी भारत यात्रा के सम्बन्ध में एक पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक का हर्षकालीन इतिहास जानने के लिए अत्यन्त महत्व है और यह उस सम्बन्ध में एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ माना जाता है। ह्वेनसांग ने पर्याप्त समय हर्षवर्धन के साम्राज्य में ही व्यतीत किया था और उसने अपनी इस पुस्तक में भारत की आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक दशा का वर्णन किया है। ऐतिहासिक दृष्टि से इस पुस्तक का विशेष महत्व है।

ह्वेनसांग के विवरण के आधार पर भारत की तत्कालीन स्थिति इस प्रकार थी-

1. राजनीतिक दशा - ह्वेनसांग हर्ष की शासन व्यवस्था से अत्यधिक प्रभावित हुआ था। इसने हर्ष की शासन व्यवस्था के सम्बन्ध में लिखा है कि इस समय शासन व्यवस्था का संचालन उदार सिद्धान्तों पर आधारित था। परिवारों को सरकरी रजिस्टरों में अपना ब्यौरा दर्ज नहीं कराना पड़ता था और लोगों से बेगार भी नहीं ली जाती थी। भूमि कर के रूप में उपज का केवल 1/6 भाग ही लिया जाता था। इस प्रकार हर्ष प्रजा की सुख-सुविधा का बहुत अधिक ध्यान रखता था।

हर्ष के समय में न्याय व्यवस्था बहुत कठोर थी। छोटे अपराधों के दण्डस्वरूप नाक, कान, पैर या हाथ काट दिया जाता था। देशद्रोहियों या राजद्रोहियों को आजीवन कारावास दिया जाता था।

2. धार्मिक दशा - भारत की धार्मिक दशा के विषय में ह्वेनसांग लिखता है कि इस युग में ब्राह्मण धर्म उन्नति पर था। काशी और प्रयाग ब्राह्मण धर्म के केन्द्र थे तथा विष्णु की पूजा अत्यधिक की जाती थी। ब्राह्मण धर्म के साथ ही बौद्ध धर्म भी पनप रहा था। बौद्ध धर्म दो भागों में विभाजित हो गया था हीनयान और महायान। जैन धर्म पतन की ओर उन्मुख था। राजा सभी धर्मों का आदर करते थे और धर्म-आचार्यों को धन आदि देते थे।

3. आर्थिक दशा - ह्वेनसांग ने जिन-जिन प्रदेशों की यात्रा की, वहाँ की आर्थिक समृद्धता को देखकर वह चकाचौंध हो गया। सौराष्ट्र के आर्थिक वैभव का उल्लेख करते हुए उसने लिखा है कि "इस स्थान के सभी लोग समुद्र से अपनी जीविका प्राप्त करते हैं। वल्लभी के विषय में इसने लिखा है कि यहाँ पर कुल 100 घर हैं जिनके पास 100 लाख मुद्राएँ हैं। ह्वेनसांग के विवरण से ज्ञात होता है कि इस युग में अधिकांश लोगों की जीविका कृषि पर हो निर्भर थी। उद्योग-धन्धों की उन्नति हो रही थी। इन सबसे स्पष्ट होता है कि इस युग की आर्थिक स्थिते बहुत अच्छी थी।

4. सामाजिक दशा - ह्वेनसांग के अनुसार, तत्कालीन समाज में जाति-पाँति के बन्धन कठोर थे। अन्तर्जातीय एवं विधवा-विवाह नहीं होते थे। बाल-विवाह प्रचलित था, परन्तु पर्दा प्रथा नहीं था। निम्न जातियाँ उच्च जातियों के आवास से दूर रहती थीं। लोग लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा एवं मछली का बहुत कम प्रयोग करते थे। ब्राह्मण लोग विद्यार्जन, क्षत्रिय युद्ध और वैश्य व्यापार किया करते थे। शूद्र वर्ग के लोग निम्न स्तर का जीवन-यापन करते थे। धनी व्यक्ति निर्धनों की सहायता किया करते थे।
5. शिक्षा - ह्वेनसांग के अनुसार इस समय शिक्षा का व्यापक प्रसार था। नालन्दा विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा का बड़ा केन्द्र था। वहाँ चीन, मंगोलिया तथा अन्य देशों के अनेक विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करने आते थे। विदेशी विद्यार्थियों को वहाँ भोजन, दवाई, वस्त्र आदि की विशेष सुविधा प्रदान की जाती थी। काशी एवं वल्लभी के विश्वविद्यालय भी इस समय बहुत अच्छी अवस्था में थे।

इस प्रकार हर्ष के शासनकाल की विस्तृत जानकारी सुलभ कराने में ह्वेनसांग का विवरण बहुत अधिक सहायक सिद्ध हुआ है। इसी आधार पर ह्वेनसांग का यात्रा विवरण हर्षकालीन इतिहास के ज्ञान का कोष माना जा सकता है।

ह्वेनसांग ने लगभग 15 वर्षों तक भारत का भ्रमण किया और इसके उपरान्त वह स्वदेश वापस चला गया। वह अपने साथ अनेक हस्तलिखित ग्रन्थ बौद्ध प्रतिमाएँ और बौद्ध स्मारक ले गया।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की सुस्पष्ट जानकारी दीजिये।
  4. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
  5. प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
  6. प्रश्न- 'फाह्यान' पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  7. प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
  8. प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
  9. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - प्राचीन इतिहास अध्ययन के स्रोत
  10. उत्तरमाला
  11. प्रश्न- बिम्बिसार के समय से नन्द वंश के काल तक मगध की शक्ति के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- नन्द कौन थे महापद्मनन्द के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  13. प्रश्न- छठी सदी ईसा पूर्व में गणराज्यों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  14. प्रश्न- छठी शताब्दी ई. पू. में महाजनपदीय एवं गणराज्यों की शासन प्रणाली के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- बिम्बिसार की राज्यनीति का वर्णन कीजिए तथा परिचय दीजिए।
  16. प्रश्न- उदयिन के जीवन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  17. प्रश्न- नन्द साम्राज्य की विशालता का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- धननंद और कौटिल्य के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धननंद के विषय में आप क्या जानते हैं?
  20. प्रश्न- मगध की भौगोलिक सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  21. प्रश्न- गणराज्य किसे कहते हैं?
  22. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - महाजनपद एवं गणतन्त्र का विकास
  23. उत्तरमाला
  24. प्रश्न- मौर्य कौन थे? इस वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
  25. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी उपलब्धियों और शासन व्यवस्था पर निबन्ध लिखिए|
  26. प्रश्न- सम्राट बिन्दुसार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  27. प्रश्न- कौटिल्य और मेगस्थनीज के विषय में आप क्या जानते हैं?
  28. प्रश्न- मौर्यकाल में सम्राटों के साम्राज्य विस्तार की सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  29. प्रश्न- सम्राट के धम्म के विशिष्ट तत्वों का निरूपण कीजिए।
  30. प्रश्न- भारतीय इतिहास में अशोक एक महान सम्राट कहलाता है। यह कथन कहाँ तक सत्य है? प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- मौर्य साम्राज्य के पतन के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- मौर्य वंश के पतन के लिए अशोक कहाँ तक उत्तरदायी था?
  33. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- अशोक ने धर्म प्रचार के क्या उपाय किये थे? स्पष्ट कीजिए।
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौर्य साम्राज्य
  36. उत्तरमाला
  37. प्रश्न- शुंग कौन थे? पुष्यमित्र का शासन प्रबन्ध लिखिये।
  38. प्रश्न- कण्व या कण्वायन वंश को स्पष्ट कीजिए।
  39. प्रश्न- पुष्यमित्र शुंग की धार्मिक नीति की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- पतंजलि कौन थे?
  41. प्रश्न- शुंग काल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  42. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - शुंग तथा कण्व वंश
  43. उत्तरमाला
  44. प्रश्न- सातवाहन युगीन दक्कन पर प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- आन्ध्र-सातवाहन कौन थे? गौतमी पुत्र शातकर्णी के राज्य की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
  46. प्रश्न- शक सातवाहन संघर्ष के विषय में बताइए।
  47. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख के माध्यम से रुद्रदामन के जीवन तथा व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- शकों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  49. प्रश्न- नहपान कौन था?
  50. प्रश्न- शक शासक रुद्रदामन के विषय में बताइए।
  51. प्रश्न- मिहिरभोज के विषय में बताइए।
  52. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - सातवाहन वंश
  53. उत्तरमाला
  54. प्रश्न- कलिंग नरेश खारवेल के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- कलिंगराज खारवेल की उपलब्धियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  56. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - कलिंग नरेश खारवेल
  57. उत्तरमाला
  58. प्रश्न- हिन्द-यवन शक्ति के उत्थान एवं पतन का निरूपण कीजिए।
  59. प्रश्न- मिनेण्डर कौन था? उसकी विजयों तथा उपलब्धियों पर चर्चा कीजिए।
  60. प्रश्न- एक विजेता के रूप में डेमेट्रियस की प्रमुख उपलब्धियों की विवेचना कीजिए।
  61. प्रश्न- हिन्द पहलवों के बारे में आप क्या जानते है? बताइए।
  62. प्रश्न- कुषाणों के भारत में शासन पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- कनिष्क के उत्तराधिकारियों का परिचय देते हुए यह बताइए कि कुषाण वंश के पतन के क्या कारण थे?
  64. प्रश्न- हिन्द-यवन स्वर्ण सिक्के पर प्रकाश डालिए।
  65. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - भारत में विदेशी आक्रमण
  66. उत्तरमाला
  67. प्रश्न- गुप्तों की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  68. प्रश्न- काचगुप्त कौन थे? स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- प्रयाग प्रशस्ति के आधार पर समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख कीजिए।
  70. प्रश्न- चन्द्रगुप्त (द्वितीय) की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से लिखिए।
  71. प्रश्न- गुप्त शासन प्रणाली पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  72. प्रश्न- गुप्तकाल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- गुप्तों के पतन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- गुप्तों के काल को प्राचीन भारत का 'स्वर्ण युग' क्यों कहते हैं? विवेचना कीजिए।
  75. प्रश्न- रामगुप्त की ऐतिहासिकता पर विचार व्यक्त कीजिए।
  76. प्रश्न- गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के विषय में बताइए।
  77. प्रश्न- आर्यभट्ट कौन था? वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- स्कन्दगुप्त की उपलब्धियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- राजा के रूप में स्कन्दगुप्त के महत्व की विवेचना कीजिए।
  80. प्रश्न- कुमारगुप्त पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- कुमारगुप्त प्रथम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- गुप्तकालीन भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- कालिदास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- विशाखदत्त कौन था? वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- स्कन्दगुप्त कौन था?
  86. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है? उसके विषय में आप सूक्ष्म में बताइए।
  87. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - गुप्त वंश
  88. उत्तरमाला
  89. प्रश्न- दक्षिण के वाकाटकों के उत्कर्ष का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  90. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वाकाटक वंश
  91. उत्तरमाला
  92. प्रश्न- हूण कौन थे? तोरमाण के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  93. प्रश्न- हूण आक्रमण के भारत पर क्या प्रभाव पड़े? स्पष्ट कीजिए।
  94. प्रश्न- गुप्त साम्राज्य पर हूणों के आक्रमण का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  95. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - हूण आक्रमण
  96. उत्तरमाला
  97. प्रश्न- हर्ष के समकालीन गौड़ नरेश शशांक के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  98. प्रश्न- हर्ष का समकालीन शासक शशांक के साथ क्या सम्बन्ध था? मूल्यांकन कीजिए।
  99. प्रश्न- हर्ष की सामरिक उपलब्धियों के परिप्रेक्ष्य में उसका मूल्यांकन कीजिए।
  100. प्रश्न- सम्राट के रूप में हर्ष का मूल्यांकन कीजिए।
  101. प्रश्न- हर्षवर्धन की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिये?
  102. प्रश्न- हर्ष का मूल्यांकन पर टिप्पणी कीजिये।
  103. प्रश्न- हर्ष का धर्म पर टिप्पणी कीजिये।
  104. प्रश्न- पुलकेशिन द्वितीय पर टिप्पणी कीजिये।
  105. प्रश्न- ह्वेनसांग कौन था?
  106. प्रश्न- प्रभाकर वर्धन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  107. प्रश्न- गौड़ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  108. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वर्धन वंश
  109. उत्तरमाला
  110. प्रश्न- मौखरी वंश की उत्पत्ति के विषय में बताते हुए इस वंश के प्रमुख शासकों का उल्लेख कीजिए।
  111. प्रश्न- मौखरी कौन थे? मौखरी राजाओं के जीवन तथा उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  112. प्रश्न- मौखरी वंश का इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए।
  113. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौखरी वंश
  114. उत्तरमाला
  115. प्रष्न- परवर्ती गुप्त शासकों का राजनैतिक इतिहास बताइये।
  116. प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासकों के मौखरी शासकों से किस प्रकार के सम्बन्ध थे? स्पष्ट कीजिए।
  117. प्रश्न- परवर्ती गुप्तों के इतिहास पर टिप्पणी लिखिए।
  118. प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासक नरसिंहगुप्त 'बालादित्य' के विषय में बताइये।
  119. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - परवर्ती गुप्त शासक
  120. उत्तरमाला

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